पहला माने तारो और ग्रहों की चाल,
दूजा माने की हाथ लकीरों में है भाग का हाल,
तीजा करे तीरथ चौथा करे दान,
पंजा खोजे जंतर, तंत्र , मंतर में निदान,
छठा माने शुक्कर, सात माने मंगल,
आठ माने शगुन नहीं तो बड़ा अमंगल,
नौ करे जग, दस करे बिसेस पूजा,
गारह कहे मेरे गुरु सा कोइ न दूजा,
बारह बदले आपन नाम, तेरह बदले खिड़की द्वार,
चौदह बने बैसनब जब न कैसे भी हो उद्धार,
पंद्रह बांटे तिल तेल, सोलह बांटे पिली राइ,
कोइ न जाने कुछ भी बांटे से न मिटती भाग लिखाई,
करम के फल से कौन बचे हैं, कौन बचेंगे,
देव, नर, प्राणी, करम फल तो सब भोगेंगे,
जब बस तेरे कर्मो का फल ही है तू पाता,
फिर क्यूँ न अच्छे कर्मों से तू जोड़े नाता,
करम करे जो, फल पाये सो, प्रभु बचन है गीता में,
सत्य यही है मान ले बंधू, फिर मन काहे को चिंता में,
तृष्णा, द्वेष, मोह, भय, चिंता और हंकार,
बुरे करम व् दुखी जीवन के बस इतने हैं द्वार ,
ना कर चिंता, भय, डर , ना करना मन को निरास ,
सुद्ध बिचार से सुद्ध करम कर, कर ले प्रभु में बिस्वास,
सार यही है , बोध यही है, सब ग्रंथों में बस इतना ही ज्ञान,
बस अच्छे कर्म से ही सुखी जीवन का है विधान ,
छोड़ उपाय सब, मान यही बस, कर ले बस इतना नियम,
'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम', 'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम',
'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम' , 'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम'
दूजा माने की हाथ लकीरों में है भाग का हाल,
तीजा करे तीरथ चौथा करे दान,
पंजा खोजे जंतर, तंत्र , मंतर में निदान,
छठा माने शुक्कर, सात माने मंगल,
आठ माने शगुन नहीं तो बड़ा अमंगल,
नौ करे जग, दस करे बिसेस पूजा,
गारह कहे मेरे गुरु सा कोइ न दूजा,
बारह बदले आपन नाम, तेरह बदले खिड़की द्वार,
चौदह बने बैसनब जब न कैसे भी हो उद्धार,
पंद्रह बांटे तिल तेल, सोलह बांटे पिली राइ,
कोइ न जाने कुछ भी बांटे से न मिटती भाग लिखाई,
करम के फल से कौन बचे हैं, कौन बचेंगे,
देव, नर, प्राणी, करम फल तो सब भोगेंगे,
जब बस तेरे कर्मो का फल ही है तू पाता,
फिर क्यूँ न अच्छे कर्मों से तू जोड़े नाता,
करम करे जो, फल पाये सो, प्रभु बचन है गीता में,
सत्य यही है मान ले बंधू, फिर मन काहे को चिंता में,
तृष्णा, द्वेष, मोह, भय, चिंता और हंकार,
बुरे करम व् दुखी जीवन के बस इतने हैं द्वार ,
ना कर चिंता, भय, डर , ना करना मन को निरास ,
सुद्ध बिचार से सुद्ध करम कर, कर ले प्रभु में बिस्वास,
सार यही है , बोध यही है, सब ग्रंथों में बस इतना ही ज्ञान,
बस अच्छे कर्म से ही सुखी जीवन का है विधान ,
छोड़ उपाय सब, मान यही बस, कर ले बस इतना नियम,
'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम', 'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम',
'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम' , 'सुद्ध बिचार- सुद्ध करम'
Excellent!
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